क्या आप एक ऐसा बिज़नेस शुरू करना चाहते है, जिससे लाखों रूपये कमा जा सकते है। अगर हां, तो हम आपके लिए इंपोर्ट-एक्सपोर्ट व्यापार की शुरुआत कैसे करें? (import export ka business kaise shuru kare) सम्पूर्ण जानकारी बताने वाले हैं।
यह एक Export Import Business या Transport Business है। अगर आप एक अच्छी प्लानिंग के साथ ट्रांस्पोर्ट के बिज़नेस को शुरू करते है तो आप बहुत सारे पैसे कमा सकते हैं।

इसलिए आज हम आपके लिए Import Export Business Kya Hai और Import Export Business Kaise Start Kare से सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में बताने वाले है, यदि आप भी import export business in hindi में पुरी जानकारी जानना है तो इस लेख में अंत तक बने रहें।
ट्रांसपोर्ट बिज़नेस कई सारे लोग करके बहुत सारे पैसे छाप रहे है, यदि आपके भी इंटरेस्ट Transport Business अथवा export import business in hindi में है तो आपके लिए यह भारत से क्या क्या एक्सपोर्ट और इंपोर्ट कर सकते जानना बहुत जरूरी है।
यह एक बहुत ही शानदार बिज़नेस आइडिया है, लेकिन किसी सामान को एक जगह से दुसरे जगह पर भेजने के लिए आपको आवश्यक नियमों व कानूनों के बारे में पता होना चाहिए। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस कैसे करें
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Import Export Business Kya Hota Hai – एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बिजनेस क्या है?
Import Export Business Kya Hota Hai के बारे में जानने से पहले यह जानलें कि आयात निर्यात क्या है अथवा आयात व निर्यात का मतलब क्या है? जानकारी के लिए हम बता दे कि आयात (Import) का अर्थ किसी दुसरे देश से अपने देश में माल मंगवाना होता है। वही निर्यात या एक्सपोर्ट का अर्थ अपने देश से किसी दुसरे देश में माल को भेजना होता है।
अर्थात ऐसा बिजनेस जिसमें माल को अपने देश से दुसरे देश मे तथा दुसरे देशो से अपने देश मे आदान प्रदान किया जाता है, इसे ही एक्सपोर्ट इंपोर्ट का बिजनेस कहते है। मैं बताना चाहूंगा कि वर्ष 2020 तक इंडियन एक्सपोर्ट मार्केट 22 ट्रिलियन रुपये का था जबकि वित्तिय वर्ष 2020-2021 में इंडियन एक्सपोर्ट मार्केट 388 बिलियन डॉलर का था।
हालांकि कोरोना के समय मे भारत के एक्सपोर्ट पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा लेकिन यह समय के साथ फिर से अच्छी स्थिति मे आ रहा है। भारत के युवाओं के लिए Export Import Business काफी प्रोफिटेबल है। हालांकि इसके लिए आपको इस बिजनेस की पूरी जानकारी होनी बेहद जरुरी है।
भारत से क्या क्या एक्सपोर्ट कर सकते है
अगर आप भारत से Export का बिजनेस शुरू करने का मन बना रहे है तो आपको सबसे पहले ऐसे प्रोडक्ट का चुनाव करना होगा, जो आसानी से मिल जाए और उसे एक्सपोर्ट करने पर भी अच्छा मुनाफा हो। नीचे कुछ ऐसे प्रोडक्ट के बारे बताया जा रहा है जिन्हे आप एक्सपोर्ट अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
- मेडिसीन एंड ड्रग
- कीमती पत्थर और ज्वैलरी – कीमती पत्थर, ज्वैलरी, जैम्स
- दाल और अनाज – गेहूं, चना, दाल-चावल, बूटा राजमा
- पेट्रोलियम उत्पाद – एलपीजी, नेफ्थलिन, मोटर स्पिरिट. एविएशन टर्बाइन फ्यूल
- डेयरी उत्पाद – प्रोसेस्ड दुध, घी, बटर, पनीर
भारत में क्या क्या इंपोर्ट कर सकते है
अगर आप भारत में इंपोर्ट का बिजनेस शुरू करना चाहते है तो आप निम्न प्रोडक्ट का इंपोर्ट कर सकते है।
- सोने के आभूषण
- इंडस्ट्रियल मशीनें
- ऑर्गेनिक केमिकल्स
- पेट्रोलियम निर्मित उत्पाद
- टेलिकॉम इंस्ट्रूमेंट
- इलेक्ट्रॉनिक सामान
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Export Import Business Kaise Kare – इंपोर्ट-एक्सपोर्ट व्यापार की शुरुआत कैसे करें?
Export Import Business को शुरू करना कोई आसान काम नही है। इस बिजनेस को शुरू करने से पहले आपको कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरना होता है। तो चलिए अब हम स्टेप बाय स्टेप जानते है कि आयात निर्यात का व्यापार कैसे शुरू करें?
#1. आयात निर्यात बिजनेस से संबधित हर संभव जानकारी प्राप्त करें
यह चरण सिर्फ इंपोर्ट-एक्सपोर्ट बिजनेस के लिए ही नही बल्कि सभी बिज़नेस को शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण है। मेरा मतलब है किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए उसके बारे में अच्छे से रिसर्च कर लें। अगर आप सही रिसर्च और रणनीति के साथ व्यापार करते है तो आप निश्चय ही सफल होते है।
यदि हम आयात निर्यात के व्यापार के बारे में बात करें तो इस बिजनेस में आपका लैटरहैड, बिजनेस कार्ड और आईईसी कोड महत्वपूर्ण होता है। इसलिए आपको लैटरहेड व आईईसी कोड प्राप्त करने की प्रक्रिया, बिज़नेस कार्ड की आवश्यकता, कहां पर कौनसे प्रोडक्ट की मांग अधिक है, एक्सपोर्ट व इंपोर्ट के बाद प्रोडक्ट की वेल्यू, प्रोडक्ट का प्राइस कोटेशनआदि का जवाब ढूंढना होगा।
#2. सही बाजार का चुनाव करें
अपने बिजनेस के लिए सही बाजार का चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। बाजार ही आपके बिजनेस का भविष्य निर्धारित करता है, इसलिए अपनें बाजार का गहन अध्यन करें, आपको विश्व बाजार से संबधित सारी जानकारी पता होनी चाहिए।जैसे- आज के समय में भारतीय रुपये तथा डॉलर की वेल्यू में कितना अंतर है? इसके लिए आप इंटरनेशनल मैग्ज़ीन, फाइनेंशियल रिपोर्ट और ट्रेड पब्लिकशन आदि की मदद ले सकते है।
#3. मार्केट ट्रेंड व प्रोडक्ट की वैल्यू को समझें
Import Export Ka Business Kaise Kare तो सबसे पहले आपको मार्केट ट्रेंड और प्रोडक्ट वेल्यू की जानकारी प्राप्त करनी होगी। अगर आप बिना प्रोडक्ट वैल्यू और मार्केट ट्रेंड की जानकारी के आयात निर्यात का व्यापारशुरूकरते है तो आपको इस बिजनेस में नुकसान उठाना पड़ सकता है। अत: बाजार में प्रोडक्ट की वैल्यू, ट्रेंड और कस्टमर के व्यहार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
#4. अपने बिजनेस का पंजीकरण कराएं
अपना आयात निर्यात का बिजनेस शुरू करने के लिए सबसे पहले अपने बिज़नेस का पंजीकर कराएं। आप विभिन्न Business Entities के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कर सकते है। जैसे Proprietorship, Private Limited Company इत्यादि। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार पंजीकरण करवा सकते है।
अपने बिजनेस का रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपको रजिस्ट्रार ऑफ कंपनिज़ के ऑफिस में जाकर आवेदन करना होगा। अगर आप रजिस्ट्रेशन सबंधित अधिक जानकारी लेना चाहते है तो आप अपने नजदीकी जिला उद्योग केन्द्र से संपर्क कर सकते है।
#5. इंपोर्ट एक्सपोर्ट कोड (ICE) के आवेदन करें
अगर आपनें अपने बिज़नेस का पंजीकरण करा लिया है तो उसके बाद आपको Import Export Code (IEC) के लिए आवेदन करना होगा। ICE Code दस अंको का एक कोड होता है जिसे विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) जारी करता है।
हम बता दें कि विदेश व्यापार महानिदेशालय भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। यदि आप भारत सरकार के तय नियमों का पालन करते हुए सही तरीके से दस्तावेज जमा करते है तो आपको आसानी से IEC Code मिल जाएगा।
NOTE: कुछ विशेष सेंसिटिव प्रोडक्ट जैसे दवाइयां, शराब, कुछ विशेष प्रकार के फूड, कुछ विशेष तरह के कपड़े और हथियार आदि के आयात व निर्यात के लिए आपको लाइसेंस लेना होगा। इसके बारे में पूरी जानकारी डीजीएफटी से प्राप्त कर सकते है।
#6. TAX Registration करवाएं
कैसे आयात निर्यात व्यापार शुरू करने के लिए अगला स्टेप टेक्स रजिस्ट्रेशन है। भारत में किसी भी वस्तु के उत्पादन करने तथा बेंचने के लिए VAT, CST या Sales Tax या TIN की जरुरत पड़ती है। अत: IEC Code के लिए आवेदन करने के बाद आपको अपने राज्य से संबधित डिपार्टमेंट में VAT पंजीकरण कराना होगा। VAT एक अप्रत्यक्ष कर है और यह अलग अलग राज्यों के लिए अलग अलग हो सकता है।
#7. Custom Clearing Agent की नियुक्ति करें
Import Export Ka Business Kaise Shuru Kare तो इसके लिए आपका अगला स्टेप कस्टम क्लीयरिंग एजेंट की नियुक्त करना होना चाहिए। यह एक ऐसा शख्स या कंपनी होती है जिसका काम विभिन्न देशो के बीच भेजे या रिसीव किये जानेवाले Consignment को प्रबंधित करना होता है। ये एजेंट इंटरनेशनल कस्टम अथोरिटीज़ से मान्यता प्राप्त होते है।
अत: अपने इंपोर्ट एक्सपोर्ट बिज़नेस के लिए कस्टम क्लीयरिंग एजेंट को नियुक्त करें। यह आपके माल को अंदर या बाहर भेजनें के लिए कस्टम क्लीयरेंस में आपकी मदद करता है। आपको एयपोर्ट या बंदरगाह पर होने वाले सभी खर्चों के बारे पता होना चाहिए। इन खर्चों में हैंडलिंग चार्जेस, कस्टम ड्यूटी और ट्रांसपोर्टेशन चार्जेस शामिल है।
#8. फ्रेड फॉरवर्डर का इस्तेमाल करें
अपने माल की डिलीवरी करने के लिए फ्रेट फारवर्डर का इस्तेमाल करें। ये कोई एजेंट या कंपनी हो सकती हैं जो किसी व्यक्ति या कंपनी के लिए काम करते हैं। हम कह सकते है कि फ्रेट फॉरवर्डर का काम जहाज या रेलगाड़ी पर लदे हुए माल को आगे बढ़ाना होता है। इनका कार्य आपके माल को एक स्थान से दुसरे स्थान तक भेजना तथा उसकी पूरी जानकारी रखना होता है।
अब तक हमनें आयात निर्यात का व्यापार शुरू करने के लिए आवश्यक स्टेप्स के बारे में जानालेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसी बाते हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए।
- अंतराष्ट्रीय स्तर पर पैसो की लेन देन करने के लिए Swift Code की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए आप अपनी बैंक की शाखा में जाकर पता कर सकते हैं।
- अगर आप किसी दुसरे देश से माल को मंगवाना चाहते है तो आप Alibaba, Indiamartइत्यादि वेबसाइट का इस्तेमाल करके कोई अच्छा सा सप्लायर्स चुन सकते हैं।
- अगर आप किसी सप्लायर को ऑर्डर देना चाहते है तो उससे पहले अपनी कंपनी के नाम के साथ Purchase Order Issue करना जरुरी है।
- माल की शिपिंग करने के लिए किसी थर्ड पार्टी को हायर करें क्योंकि ये इस काम को करने दक्ष होते है तथा उनके कॉन्टेक्ट होते है।
- इस बात का विशेष ध्यान रखे कि Purchase Order और Invoice दोनों में लिखित राशि एक ही हो। कई बार छोटी छोटी गलतियों से भी कस्टम क्लीयरिंग में दिक्कत आ जाती है।
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इंपोर्टर एक्सपोर्टर कोड (IEC Code) क्या होता है
अगर आप एक्सपोर्टर या इंपोर्टर के रुप में भारत सरकार से मान्यता प्राप्त करना चाहते है तो इसके लिए आपको आईसी कोड लेना अनिवार्य है। जैसा कि हमनें बताया कि यह दस अंको का एक कोड होता है जिसे विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी किया जाता है।
आप विदेश व्यापार महानिदेशालय, नई दिल्ली में जाकर आवेदन कर सकते है। इसके लिए आपको 1000 रुपये एप्लीकेशन फीस देनी होगी। आप पे ऑर्डर या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से फीस जमा करवा सकते है। पे ऑर्डर या डिमांड ड्राफ्ट जोनल जॉइंट डीजीएफटी के फेवर में होना चाहिए।
अगर आप IEC में मॉडिफिकेशन कराना चाहते है और इसकी सूचना आप 90 दिन पहले दे देते है तो आपको कई अतिरिक्त फीस देने की आवश्यकता नही पड़ती है। अगर आप डुप्लीकेट IEC लेना चाहते है तो इसके लिए आपको 200 रुपये फीस देनी होगी। इसके अलावा www.dgft.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।
आईईसी कोड के लिए आवेदन करने के लिए जरुरी दस्तावेज
- आवेदन करने वाला वोटर आईडी, आधार कार्ड या पासपोर्ट कॉपी
- आपकी फर्म या कंपनी के नाम का पैन कार्ड की कॉपी
- बिजली बिल या रेंट एग्रीमेंट की कॉपी
- आपकी फर्म या कंपनी के करेंट बैंक अकाउंट के कैंसिल चेक
- लाइसेंस भेजने के लिए सेल्स एड्रेस्ड लिफाफा
कुछ महत्वपूर्ण टर्म्स
Import Export Business को शुरू करने से पहले इससे संबधित कुछ महत्वपूर्ण टर्म्स के बारे में जान लें। जब हम “How To Start Import Export Business In India” के बारे में जानेगें तब इन टर्म्स का इस्तेमाल होता है।
शिपिंग एग्रिमेंट
यह एक महत्वपूर्ण एग्रीमेंट है। यह एग्रीमेंट फ्रेट फॉरवॉर्डर और आपके बीच होता है। इसी के आधार पर यह तय किया जाता है कि इन सब में आपकी किया जिम्मेदारी है? इसलिए इस एग्रीमेंट को ध्यान से समझ लें। ध्यान रखें कि कि इस एग्रीमेंट की शर्तों का सीधा प्रभाव आपके प्राइस कोटेशन और गुड्स डिलीवरी पर पड़ता है।
फ्रेड फॉरवार्डर
यह व्यक्ति आपके लिए शिपिंग और मर्चेंडाइज संबधित सभी अहम कामों को पूरा करता है। इसके कामों में शिपिंग दरें कोट करना, रुटीन इंफॉर्मेंशन प्रदान करना और कार्गो स्पेस बुक करना आदि शामिल है। यह डॉक्यूमेंट, कॉन्ट्रैक्ट शिपिंग इंश्योरेंस और सबसे कम चार्ज वाले रूट कार्गों की इनफोर्मेंशन देता है।
बिल ऑफ लैडिंग
जिन वस्तुओं का एक्सपोर्ट या इंपोर्ट किया जा रहा है उनकी रिसीट ही बिल ऑफ लैडिंग कहलाती है। इस पर उस शिप के एजेंट का साइन होता है। इसमें यह लिखा होता है कि आपका सामान जिस हालत में लोडिंग किया गया था उसी हालात में पहुंचाया जाएगा। इन डॉक्युमेंट के आधार पर ही आपका बैंक लेटर ऑफ क्रेडिट रिलीज करता है।
एफओबी
एफओबी की फुल फॉर्म फ्री ऑन बोर्ड है। इसमें माल बेंचने वाली पार्टी माल को एक निर्थारित स्थान तक ले जाने की जिम्मेदारी लेती है। इसके लिए वह कोई भी अतिरिक्त पैसा नही लेती है। उस स्थान से माल को आगे ले जाने का काम खरीदने वाली पार्टी करती है। जैसे कि एफओबी कांडला अर्थात बेचनें वाली पार्टी माल को काडंला पोर्ट तक लेकर जाएगी। इसका पूरा खर्च उसके प्राइस कोटेशन में शामिल होता है।
एफओएस
इसकी फुल फॉर्म फ्री अलॉन्ग साइड है। इसमें बेंचने वाली पार्टी सामान को शिप तक पहुंचानें की जिम्मेदारी लेती है। इसके अलावा माल को शिप पर लोड करने तक माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी बेंचने वाली पार्टी की होती है। इसके बाद माल शिप पर लोड लोड करने तथा उसे आगे ले जाने का काम खरीदनें वाली पार्टी का होता है।
सीएंडएफ
इसका मतलब है कि बेंचने वाली पार्टी माल भाड़ा देगी तथा बायर माल का इंश्योरेंस कराता है। अब माल की पूरी जिम्मेदारी बायर की होती है।
लेटर ऑफ क्रेडिट
यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आपके डिस्ट्रीब्यूटर के पास इतना पैसा है, जिससे वह आपके द्वारा कोट किये गए खर्च को पूरा कर सके। इसे रद्द नही किया जा सकता है। इसके कारण डिस्ट्रीब्यूटर आपके ऑर्डर को रद्द नही कर सकता।
जब इसे बैंक द्वारा कंफर्म किया जाता है तो डिस्ट्रीब्यूटर को डिलीवरी सुनिश्चित हो जाती है। इसके साथ करेंसी एक्सचेंज भी कंफर्म हो जाता है। इसके बाद आपको करेंसी के वैल्यू में उतार-चढ़ाव के बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नही होती हैं।
ईसीसीजी (ECGC)
इसकी फुल फॉर्म एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया है। भारत सरकार द्वारा 1957 में ECGC का गठन किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य एक्सपोर्टर्स के क्रेडिट जोखिम को समाप्त करना और उन्हे बढ़ावा देना है। यह एक्सपोर्टर्स को कई सेवाएं देती है, जैसे-
यह संस्था माल को एक्सपोर्ट करते समय नुकसान होने पर क्रेडिट रिस्क इंश्योरेंस प्रदान करता है। बैंकों तथा फाइनेंशियल संस्थाओं को गारंटी मुहैया करवाता है जिससे एक्सपोर्टर्स को बेहतर सेवाएं मिलें। इसके अलावा यह विदेशों में लोन के पार्टनर के रुप में जॉइंट वेंचर बनाने वाली भारतीय कंपनियों को ओवरसीज इनवेस्टमेंट इंश्योरेंस मुहैया करवाता है।
क्रेडिट इंश्योरेंश
यह भी महत्वपूर्ण दस्तावेजो में से एक है। यह आपको ग्राहक के डिफॉल्ट या दिवालियापन से होने वाले जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है। यह आपको निम्न सेवाएं देता है- जोखिम से बचाव, दावों का भुगतान तथा कर्ज की वसूली।
एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न स्कीमें
भारत सरकार द्वारा एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कई सारी एक्सपोर्ट प्रमोशनल स्कीमें चलायी जा रही है। इनमें से कुछ योजनाएं निम्न है- फोकस प्रोडक्ट स्कीम (FPS), एक्सपोर्ट प्रमोशनल कैपिटल गुड्स स्कीम, मार्केट लिंक्ड फोकस प्रोडक्ट स्कीम (MLFPS), विशेष कृषि एंड ग्राम उद्योग योजना (CKGUY), स्पेशल बोनस बेनेफिट स्कीम (SBBS)
भारत सरकार के कई ऐसी डिपार्टमेंट और एजेंसियां भी है जो भारत में एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। जैसे – एग्जिम बैंक ऑफ इंडिया, एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, इंडियन ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन।
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FAQs
प्र. इंपोर्ट एक्सपोर्ट का लाइसेंस कैसे बनता है?
उ.इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरू करने के लिए आपको डीजीएफटी की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा।
प्र. भारत में सबसे ज्यादा क्या एक्सपोर्ट किया जाता है?
उ.भारत लोह व इस्पात से समृद्ध देश है। इस कारण भारत मशीनरी पार्ट्स और ऑटोमोबाइल का प्रमुख निर्यातक देश है।
प्र. एक्सपोर्ट इंपोर्ट का काम शुरू करने के लिए कितनें पैसे चाहिए?
उ.एक्सपोर्ट व इंपोर्ट का बिजनेस शुरू करना कोई आसान काम नही है। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपके लोखों से करोड़ो रुपये तक खर्च हो सकते है।
Conclusion
आज हमनें इस आर्टिकल में “इंपोर्ट-एक्सपोर्ट व्यापार की शुरुआत कैसे करें?” के बारे सारी जानकारी देनें का प्रयास किया। अगर अभी आपके मन में आयात निर्यात के व्यापार से संबधित कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूंछ सकते है।
हम आपके सवाल को जवाब देने के बहुत जल्द प्रयास करेंगे, साथ ही यदि आपको हमरा Most Profitable Export Business In India पसंद आया है तो अपने उन दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें जो एक्सपोर्ट बिजनेस कैसे शुरू करें जानने चाहते हैं।
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