Permission And License To Manufacture Products: आज हर कोई चाहता है कि उसका खुद का एक बिजनेस हो जिससे वह हर महीने लाखों – करोड़ो रुपये कमाए। क्या आपके मन में कभी खुद का एक बिजनेस शुरू करने का विचार आया है? यदि आपका जवाब “हां” है, तो निश्चित ही आपके मन में यह सवाल भी आया होगा कि इसके लिए कौन-कौन से लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन या अनुमति लेनी होगी?

हालांकि किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए आवश्यक लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन की लिस्ट खूब लंबी होती है जो कि बिजनेस शुरू करने के बाद बढ़ती जाती है। लेकिन आज हम इस लेख में कुछ जरुरी रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस के बारे में ही बताने वाले है जिनकी जरुरत आपको बिजनेस की शुरूआत में ही पड़ जाती है।
अगर आप भी अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते है और जानना चाहते है कि उत्पाद बनाने के लिए अनुमति तथा लाइसेंस हेतु क्या आवश्यक है?, तो आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। इस फैक्ट्री लाइसेंस के नवीनीकरण और ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया लेखको पूरा जरुर पढ़े ताकि आपसे कोई भी जानकारी ना छूट पाए।
Permission And License To Manufacture Products – उत्पाद बनाने के लिए अनुमति तथा लाइसेंस हेतु क्या आवश्यक है
आज हम इस लेख में मैन्युफैक्चरिंग संबधित बिजनेस शुरू करने के लिए आवश्यक लाइसेंस व अनुमति के बारे में जानने वाले है। अर्थात अगर आप कोई प्रोडक्ट या उत्पाद निर्माण संबधित बिजनेस शुरू करना चाहते है, तो आपको किन किन लाइसेंस व अनुमति की आवश्यकता पड़ेगी।
1. भूमि उपयोग और निगम लाइसेंस
अगर आप कोई फैक्ट्री शुरू करना चाहते है, तो आपको यह पता होना चाहिए कि आप केवल इंडस्ट्रियल या कॉनफर्मिंग एरिया में ही फैक्ट्री लगा सकते है। सामान्यत: फैक्ट्री लगाने के लिए नगर निगम, विकास प्राधिकरण या जिला उद्योग के कार्यालय में फैक्ट्री रजिस्ट्रेशन करवाना होता है।
वहीं अगर आप दिल्ली में डीएसआईडीसी, उत्तरप्रदेश (UP) में यूपीएसआईआईडीसी या हरियाणा में एचएसआईआईडीसी के अधिकार क्षैत्र में आने वाले इंडस्ट्रियल एस्टेट्स, पार्क या एरिया में फैक्ट्री लगाना चाहते है, तो इसके लिए आपको इन्ही अथॉरिटीज से अनुमति लेनी होती हैं।
किसी भी व्यवसायिक यूनिट के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण लाइसेंस निगम लाइसेंस होता है। इसके लिए आप ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनो तरीको से आवेदन कर सकते हैं। यहीं, पर आपकी एरिया कैटेगिरी तथा प्रॉपर्टी टैक्स की दर निर्धारित की जाती है।
आवश्यक डॉक्यूमेंट
लैड यूज और निगम लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपके पास जमीन की ओनरशिप या लीजहोल्ड का प्रूफ, बिल्डिंग या साइट प्लान की मंजूरी की कॉपी, उपयोग की जाने वाली मशीन की जानकारी, हॉर्स पॉवर तथा मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस की रुपरेखा इत्यादि डॉक्यूमेंट होने चाहिए।
फीस कितनी है
अगर हम दिल्ली की बात करें तो इसके लिए आपको 2,000 रुपये फीस के रुप में जमा कराने होते है। वहीं दुसरे राज्यों में भी इसके लिए इतनी ही फीस ली जाती है। इसके अलावा आपको इस लाइसेंस को हर साल रिन्यू कराना पड़ता है। कुछ राज्यों में इसे तीन साल में रिन्यू कराना पड़ता है।
2. Environment Consent and Registration
अगर आप खुदका एक बिजनेस शुरू करना चाहते है और उसके लिए आपको फैक्ट्री बनानी है, तो फैक्ट्री शुरू करने से पहले आपको पर्यावरण डिवार्टमेंट से मजूंरी लेनी होगी। यह बेहद जरुरी होता है। जानकारी के लिए हम आपको बता दे कि आपको यह मंजूरी तीन कैटिगरी में दी जाती हैं।
Green Category: इस कैटिगिरी में ऐसे उद्योग आते है जिनसे किसी तरह प्रदुषण नहीं होता है।
Yellow Category: इस कैटिगिरी में ऐसे उद्योग आते है जिनसे थोड़ा बहुत प्रदुषण होता है। इसके लिए वॉटर या एयर ट्रीटमेंट प्लांट लगाना जरुरी होता है।
Red Category: इस कैटिगिरी में ऐसे उद्योग आते है जिनसे अच्छा खासा प्रदुषण होता है। हालांकि अब कोई राज्य इस तरह की फैक्ट्री के लिए अनुमति नहीं देता है।
आवश्यक डॉक्यूमेंट
इसके लिए आपको यूनिट का लेआउट प्लान, निगम लाइसेंस की कॉपी, मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रिया और साइट पजेशन का प्रूफ इत्यादि डॉक्यूमेंट की जरुरत पड़ती है।
फीस कितनी है
इंडस्ट्री कैटिगरी के अनुसार यह मंजूरी आपको 1 से 5 साल के लिए दी जाती है। इसकी फीस अलग अलग होती है। वायु प्रदुषण नियंत्रण अधिनियम के तहत 5 लाख से 1 करोड़ रुपये तक के निवेश से शुरू होने वाली फैक्ट्री के लिए फीस 250 रुपये से 2,000 रुपये है। वॉटर एक्ट के तहत प्रति किलोलीटर पानी की खपत के हिसाब से फीस 6500 रुपये तक है।
3. लेबर डिपार्टमेंट का फैक्ट्री लाइसेंस
लेबर डिपार्टमेंट का फैक्ट्री लाइसेंस को चीफ इंसपेक्टर ऑफ फैक्ट्रीज का लाइसेंस भी कहा जाता है। यह आपके बिजनेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस प्रोसेस है। इसमें आपको अपनी फैक्ट्री का पूरा प्रोफाइल दिखाना पड़ता है।
इसमें लेबर डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर समय समय पर आपकी फैक्ट्री की जांच करते हैं। इसके लिए आपको कई तरह के रजिस्टर मेनटेन करने पड़ते हैं। इसके अलावा आपको अपने मजदुरों से संबधित कई फॉर्मेलिटीज को भी पूरा करना पड़ता है।
आवश्यक डॉक्यूमेंट
लेबर डिपार्टमेंट का फैक्ट्री लाइसेंस लेने के लिए मुख्य रुप से साइट या लेआउट प्लान की कॉपी, फायर डिपार्टमेंट की NOC, नगर निगम लाइसेंस, Environmental Consent की कॉपी, मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस का फ्लो चार्ट, काम करने वालो की संख्या, प्रोफाइल (महिला, पुरुष, स्किल्ड, सेमी या अनस्किल्ड), वेतन आदि दस्तावेज की आवश्यकता होगी।
फीस कितनी है
यह लाइसेंस लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज की संख्या तथा उसकी फीस अलग अलग राज्यो में अलग अलग है। इसके बारे में आप स्टेट लेबर डिपार्टमेंट की साइट पर जाकर पता कर सकते है।
5. एम्प्लॉयमेंट स्टेट इंश्योरेंस (ESI)
अगर आपकी फैक्ट्री में 10 से ज्यादा लोग काम करते है जिनका वेतन 15,000 रुपये प्रति माह से कम हैं, तो आपको एम्प्लॉयमेंट स्टेट इंश्योरेंस कवर लेना होगा। इसका उद्देश्य आपके कर्मचारियों को मुफ्त में चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना हैं। वहीं अगर दुकान, रेस्तरां, होटल, मॉल, प्राइवेट मेडिकल या एजुकेशनल संस्थानों में 20 से ज्यादा कर्मचारी कार्य करते है, तो उनको भी यह इंश्योरेंस कवर लेना होगा।
आवश्यक डॉक्यूमेंट और फीस
इस रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और फीस बहुत ही कम है।आपको कंट्रीब्यूशन और रिटर्न नियमित रुप से भरना होगा। इस स्किम का लाभ लेने के लिए आपको हर महीने कर्मचारी के वेतन का 6.5 फीसदी के बराबर की पूंजी को ESI फंड में जमा करानी होगी। इसके लिए कर्मचारी के वेतन से 1.75 फीसदी रकम काटी जाती है, जबकि शेष 4.75 फीसदी रकम एम्पलॉयर अपनी तरफ से भरता है।
6. एम्प्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड (EPF) रजिस्ट्रेशन
अगर किसी फैक्ट्री में 20 से ज्यादा कर्मचारी कार्य करते है, तो एम्प्लॉयर को प्रॉविडेंट फंड में रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। इसके अलावा 20 से कम कर्मचारी वाले एम्प्लॉयी चाहें तो एम्प्लॉयी स्वैच्छिक रुप से रजिस्ट्रेशन ले सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारी के लिए भविष्य निधि इकट्ठा करना है, जिसका लाभ उन्हे रियायरमेंट या एमर्जेंसी के समय दिया जाता है।
कॉन्ट्रिब्यूशन रेट
हर महीने कर्मचारी के सामान्य वेतन का 12 फीसदी हर महीने EPF में जमा करना होता हैं और इतनी रकम एम्प्लॉयर अपनी तरफ से जमा करता है। इसके अलावा 20 से कम कर्मचारियों वाली यूनिटों, बीमार इकाइयों के लिए कॉन्ट्रिब्यूशन दर 10 फीसदी हैं। एम्प्लॉयर द्वारा जमा की जाने वाली रकम का एक भाग पेंशन फंड में जाता है।
7. MSME Registration
अगर आपके प्लांट तथा मशीनरी में 25 लाख रुपये तक की लागत आयी है, तो आप माइक्रो इंडस्ट्रीज के अंतर्गत आते है। अगर आपके प्लांट और मशीनरी में 25 लाख से 5 करोड़ रुपये तक के बीच लागत आती है तो आप स्मॉल और अगर लागत 5 करोड़ से 10 करोड़ रुपये के बीच आती है तो आप मीडियम एंटरप्राइजेस के तहत आते है।
एमएसएमई एक्ट 2006 के अनुसार इन युनिट को राज्य के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रीज में एमएसएमई रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। एमएसएमई रजिस्ट्रेशन करवाने पर आपको एक सर्टिफिकेट मिलता है। एमएसएमई रजिस्ट्रेशन करवाने से आपको नेशनल स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज और वित्तीय संस्थाओं की स्कीमों का लाभ मिलता है।
7. VAT Registration
जब आपके द्वारा निर्मित प्रोडक्ट या उत्पाद की सालान सेल्स निर्धारित सीमा से अधिक होती है, तो आपको वैट रजिस्ट्रेशन कराना होता है। अगर आपके प्रोडक्ट की सालाना सेल्स दिल्ली में 20 लाख रुपये और अन्य राज्यों में 10 लाख रुपये से अधिक होती है, तो आपको संबधित राज्य में वैट रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
वैट डिपार्टमेंट को कुछ राज्यों में सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट जबकी कुछ राज्यों में इसे कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप टैक्स फ्री उत्पाद बनाते हैं तो वैट रजिस्ट्रेशन करवाने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अगर आपका माल राज्य से बाहर जाता है, तो आपको 1 रुपये की सेल्स होने पर भी वैट रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। फिर चाहे आपका टर्न ऑवर कितना भी क्यों ना हो।
ऐसी स्थिति में आपको वैट डिपार्टमेंट के अंतर्गत केंद्रीय बिक्री कर या सीएसटी के तहत भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
आवश्यक डॉक्यूमेंट
वैट रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आवेदनकर्ता का आईडी प्रूफ, पैन कार्ड की कॉपी, ऑनरशिप का प्रूफ, अगर आपकी फर्म पार्टनरशिप में है, तो पार्टनरशिप डीड और अगर कंपनी, सोसाइटी या ट्रस्ट है, तो उससे संबधित विभागों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट इत्यादि की जरुरत पड़ती हैं।
फीस कितनी है
वैट रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 500 रुपये की फीस जमा करनी होती है। इसके साथ में आपको 1 लाख रुपये का सिक्योरिटी बॉन्ड भी भरना होता है। हालांकि अगर आप कुछ खास दस्तावेजों की कॉपी जमा करवाते है, तो यह 50,000 रुपये तक कम हो सकती है।
8. एक्साइज ड्यूटी रजिस्ट्रेशन
अगर आपकी फैक्ट्री का टर्न ऑवर 1.5 करोड़ रुपये सालाना से अधिक है तो आपको कमिश्नर एक्साइज और सैंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट के जोनल ऑफिस में जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा और ड्यूटी चुकानी होगी और रिटर्न भी भरना होगा। वहीं अगर आपकी फैक्ट्री का टर्न ऑवर 1.5 करोड़ रुपये सालाना से कम है तो आपको एक्साइज ड्यूटी चुकाने की आवश्यकता नहीं है।
9. बीआईएस रजिस्ट्रेशन
BIS की फुल फॉर्म ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स है। भारत सरकार द्वारा आम जनता की सेहत तथा स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए भारत मानक ब्यूरो के अंतर्गत पंजीकरण स्कीम लागू की गई। यह किसी भी प्रोडक्ट की गुणवत्ता, सुरक्षा तथा विश्वसनीयता को प्रमाणित करता है।
अगर आपका प्रोडक्ट सेफ्टी, सिक्योरिटी, प्रेशस वैल्यू या स्टैंडर्ड्स पर खरे उतरने की अनिवार्यता वाली श्रेणी में आते हैं तो आपको बीआईएस यानि कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और कुछ जरुरी लाइसेंस प्राप्त करने होंगे।
10. पैकेज्ड कमोडिटी और वेट्स एंड मेजर्स
अगर आप पैकिंग करने वाला सामान बनाते है, जिसके वजन से ग्राहक का सरोकार है तो आपको पैकेज्ड कमोडिटी एक्ट के अंतर्गत राज्य के कन्जयूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के कुछ मानकों का पालन करना होता है और वेट्स एंड मेजर्स एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना होता है।
11. फूड सेफ्टी रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस
अगर आप खाद्य संबधित उत्पाद बनाते है और आपका सालाना टर्नऑवर 12 लाख रुपये से अधिक होता है तो आप फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानि एफएसएसआईए से लाइसेंस प्राप्त करना होगा। यह लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है।
लेकिन अगर आपकी कंपनी का सालाना टर्न ऑवर 12 लाख रुपये से कम है तो आपको सिर्फ फूड सेफ्टी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसकी फीस आपके प्रोडक्ट की कैटिगरी और सेफ्टी मेजर्स के आधार पर अलग अलग होती है। आप इसके बारे में अथॉरिटी की साइट पर जाकर पता कर सकते है।
लाइसेंस व अनुमति लेने के फायदे
अगर आपने अपने बिजनेस के लिए जरुरी सभी लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन ले लिए लेकिन अभी भी विभागीय अधिकारियों द्वारा अड़ंगे लग रहे हैं या फिर आपको ऐसा लगता है कि आपके ऊपर लगाया गया चालान या नोटिस गलत है, तो उसी डिपार्टमेंट ऐसे सेल होते हैं, जहां पर आप अपील या ऑब्जेक्शन दायर कर सकते हैं।
अगर निगम, पर्यावरण विभाग, विकास प्राधिकरण के स्वंय के अलग अलग अपीलेट या न्यायाधिकरण है जहां पर आप किसी भी फैसले के विरुद्ध अपील कर सकते है। यहां तक कि आप वैट या सेल्स टैक्स में तो आप कमिश्नर तक के निर्णयों को उसी की ऑब्जेक्शन हियरिंग अथॉरिटी में चुनौती दे सकते हैं। अगर इन सभी से असंतुष्ट है, तो आप कोर्ट में भी जा सकते है।
Conclusion: manufacturing business ideas in india
अगर आपने अपने बिजनेस के लिए जरुरी सभी लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन ले लिए है, तो अब आपको बिजनेस करने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके बावजुद भी अगर कोई समस्या आती है, तो आप डटकर उसका सामना कर सकते है। इसके अलावा आप अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते है।
अंत में, दोस्तो आज हमने इस लेख में जाना कि उत्पाद बनाने के लिए अनुमति तथा लाइसेंस हेतु क्या आवश्यक है? मैं उम्मीद करता हूं कि अब तक आप उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक सभी लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन तथा उनके लिए आवश्यक दस्तावेजों के बारे में जान चुके होंगे।
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